पुरखों की याद में ‘पांच पेड़’ अभियान: पर्यावरण संरक्षण और पारिवारिक विरासत को एक साथ जोड़ने की पहल

कोरबा। आज के दौर में, जब पर्यावरण संरक्षण एक गंभीर वैश्विक मुद्दा बन चुका है, वहीं एक स्थानीय पहल ने न केवल लोगों का ध्यान आकर्षित किया है, बल्कि उन्हें गहराई से सोचने पर भी मजबूर किया है। ‘पांच पेड़ पुरखों के नाम’ नामक इस अभियान को पीपुल्स मीडिया समूह ने शुरू किया है, जिसका उद्देश्य पर्यावरण की रक्षा के साथ-साथ पारिवारिक मूल्यों को फिर से जीवंत करना है।

अभियान का उद्देश्य और भावना

बालको के एकता पीठ, ऐक्टू यूनियन कार्यालय परिसर में आयोजित इस महाअभियान में स्थानीय नागरिकों और गणमान्य व्यक्तियों ने बढ़-चढ़कर भाग लिया। इस मुहिम का मकसद सिर्फ पेड़ लगाना नहीं, बल्कि अपनी जड़ों से जुड़ने का एक नया तरीका भी खोजना है। प्रत्येक परिवार से आह्वान किया गया कि वे अपने पूर्वजों की स्मृति में पांच पेड़ लगाएं। यह पहल न केवल पर्यावरण संरक्षण में योगदान करती है, बल्कि लोगों को उनके पारिवारिक इतिहास और परंपराओं से जोड़ती है।

बालको थाना प्रभारी अभिनवकांत सिंह का कहना है, “यह अभियान हमारी संस्कृति और प्रकृति के बीच एक गहरा रिश्ता स्थापित करता है। पूर्वजों की स्मृति में पेड़ लगाकर हम धरती माँ की सेवा कर रहे हैं, जो एक पवित्र कर्तव्य है।”

इस अभियान के तहत आम, पीपल, नीम और अशोक जैसे महत्वपूर्ण वृक्षों का रोपण किया गया। ये वृक्ष न केवल पर्यावरण को हरा-भरा बनाएंगे, बल्कि आने वाले समय में वायु गुणवत्ता सुधारने और मृदा संरक्षण में भी अहम भूमिका निभाएंगे।

समाज और भविष्य की पीढ़ी के लिए एक संदेश

युवा जागृति संगठन के अध्यक्ष विकास डालमिया ने इस पहल के महत्व को समझाते हुए कहा, “हर पेड़ एक कहानी कहता है—हमारे पूर्वजों की, हमारी, और आने वाली पीढ़ियों की। यह एक ऐसा प्रयास है जो हमें अपने अतीत से जोड़ता है और भविष्य के लिए एक स्वस्थ पृथ्वी का वादा करता है।”

इस कार्यक्रम में समाज के विभिन्न वर्गों के लोग शामिल हुए, जिनमें ट्रेड यूनियन सीटू के प्रदेश अध्यक्ष एस.एन. बनर्जी, भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा के जिला उपाध्यक्ष सैदर खान और गौ सेवा संयोजक लालिमा जायसवाल जैसे प्रमुख हस्तियाँ भी थीं। सभी ने इस अनोखी पहल की भूरी-भूरी प्रशंसा की और इसे एक जरूरी और प्रेरणादायक कदम बताया।

व्यापक प्रभाव और संभावनाएँ

इस अभियान की शुरुआत एक छोटे से विचार से हुई थी, लेकिन इसकी संभावनाएँ अनंत हैं। अगर हर परिवार इस पहल को अपनाए, तो यह न केवल पर्यावरण संरक्षण में एक बड़ा योगदान देगा, बल्कि समाज में पारिवारिक मूल्यों और सांस्कृतिक धरोहर को भी सशक्त बनाएगा।

कामकाजी कारोबार संगठन के अध्यक्ष नकुल देव अहिरवार ने इस मौके पर कहा, “यह पहल हमें यह सिखाती है कि हम सभी प्रकृति के एक बड़े परिवार का हिस्सा हैं। हमारा यह कर्तव्य है कि हम इस परिवार की रक्षा करें और इसे समृद्ध बनाएं।”

इस अभियान की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि यह पर्यावरण संरक्षण को एक सांस्कृतिक और पारिवारिक जिम्मेदारी के रूप में प्रस्तुत करता है। ऐसे समय में जब पर्यावरणीय संकट गहराता जा रहा है, यह पहल न केवल पेड़ लगाने के महत्व को बताती है, बल्कि पारिवारिक मूल्यों और पर्यावरण के बीच एक मजबूत कड़ी भी बनाती है। इसके सामाजिक और पर्यावरणीय लाभ दीर्घकालिक होंगे, जिससे भावी पीढ़ियाँ भी प्रेरित होंगी।

‘पांच पेड़ पुरखों के नाम’ अभियान न केवल पर्यावरण संरक्षण का संदेश देता है, बल्कि पारिवारिक और सांस्कृतिक मूल्यों को पुनर्जीवित करने का एक उत्कृष्ट उदाहरण भी है। जिले के मीडिया प्रतिनिधियों की यह पहल इस बात का प्रमाण है कि छोटे-छोटे प्रयास भी बड़े बदलाव ला सकते हैं और हर व्यक्ति इस बदलाव में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।

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